शेखर कुमावत की बात

नमस्कार साथियों ,

सबसे पहले में आप सब का तह : दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ ! क्यूँ की मुझे आप सब लोगो का भरपूरप्यार जो मिलता रहा है , अतः इस नाचीज़ को आप ने सराहा इस के लिए में आप सब का शुक्रगुजार हूँ |

मुझे रोज़ आप लोगो की प्यार भरी ढेर सारी टिप्पणियाँ मिलती है उससे मेरा दिल खुश नसीब इन्सान की तरहगद-गद हो जाता हे, लग भग एक महीने से मेरे द्वारा लिखी गई , कवितायेँ और मुक्तक को पड़ते रहे हैं , किन्तु मुझे धीरे-धीरे ये ज्ञात होने लगा हे कि मैं जिस काम को करने के लिए सोच रहा हूँ या सपने देखता हूँ उसके लिए मुझे बहुत मेहनत करनी होगी आम तौर पर मिलने वाली टिप्पणियाँ मेरी पोस्ट को ठीक-ठीक हीबतादेती हे , किन्तु कुछ खास और बुद्धिजीवी की बातो पर जब मैंने गौर किया तो मुझे ज्ञात हुवा कि बहुत मेहनत करने की जरुरत है , खास तोर पर किसी भी पोस्ट को प्रकाशित करने से पहले उसके बारे में हर दृष्टी कोण से सोचविचार करना चाहियें | आये दिन पिताजी भी कहते है कि मुझे ज्यादा से ज्यादा अच्छे लेखकों की किताबे पढनाऔर उन लोगो के जीवन के बारे में गहन अध्यन करना चाहियें , ताकि मै भी अपना निष्पक्ष मूल्यांकन कर सकू |

मुझे उमीद है की मै भविष्य मै इस से भी बहतर करने की मेरी और से लाजवाब कोशिस जारी रहेगी |


शेखर कुमावत

32 टिप्‍पणियां:

  1. sach kaha aapne, adhyayan se lekhan me nikhaar aata hai, shubhkamana!

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  2. शेखर... बहुत अच्छा लगा तुम्हारे ब्लॉग पर... संभावनाओं से भरपूर है तुम्हारा ब्लॉग और मेरी शुभकामनाएं....तुम्हारे साथ हैं.... ..

    ग्रेट...वर्क...

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  3. प्रिय भाई,
    अच्छा तो लिखने का प्रयास कर रहे हो लेकिन क्या है कि तुमने गुरूजी ठीक-ठाक नहीं बनाया है इसलिए गड़बड़ी हो रही है। अब जिस आदमी ने अपनी जमीन पर घटिया कविताओं का उत्पादन करने का कारखाना खोल रखा हो वहां तुम दरबान का काम करोगे तो उलझन में रहोगे ही।
    यदि तुम्हे लिखने- पढ़ने के क्षेत्र में आगे जाना है तो खूब पढ़ना पड़ेगा। पढ़ने का मतलब यह भी मत समझ लेना कि कल से सत्यकथा-मनोहर कहानी या फिर गुलशन नंदा का उपन्यास पढ़ने लगो। दूसरी बात यह है कि भाषा की शुद्धता के लिए लिखने के बाद अपना ब्लाग एक बार किसी को दिखा लिया करोगे तो अच्छा रहेगा। ब्लाग में अपनी फोटो भी कम करो... जब तुम्हारी उम्र हो जाएगी तब आत्ममुग्ध रहना। बाकी अच्छी रचना लिखो इन्ही शुभकामनाओं के साथ।

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  4. हमारी शुभकामनाएं आप के साथ हैं।

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  5. खूब पढ़िये..थोड़ा लिखिये..उम्दा लिख जायेगा.

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  6. आये दिन पिताजी भी कहते है कि मुझे ज्यादा से ज्यादा अच्छे लेखकों की किताबे पढनाऔर उन लोगो के जीवन के बारे में गहन अध्यन करना चाहियें , ताकि मै भी अपना निष्पक्ष मूल्यांकन कर सकू |

    बस और कुछ करने की जरूरत नहीं दोस्त, पिता की बात में दम है। वैसे भी ब्लॉग जगत में ज्यादा टिप्पणियाँ तो ऐसे में भी आ जाती है, क्योंकि तुमने उनके ब्लॉग पर जाकर टिप्पणी दी थी, शायद ऐसे में उस टिप्पणी का तेरी पोस्ट से कोई लेन देन भी न हो। इस लिए बेहतर यह है कि जो तुम को श्रेष्ठ लगे, तेरी आत्मा जिसकी गवाही भरे। वो ही पोस्ट कर।

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  7. बहुत ही अच्छा विचार है / अच्छी विवेचना के साथ प्रस्तुती के लिए धन्यवाद / मैं तो कहता हु ब्लॉग सामानांतर मिडिया के रूप में उभर कर इस देश में वैचारिक क्रांति का सबसे बड़ा वाहक बनकर इस देश में बदलाव जरूर लायेगा / बस जरूरत है एकजुट होकर सच्ची इक्षा शक्ति से प्रयास करने की /आपको मैं जनता के प्रश्न काल के लिए संसद में दो महीने आरक्षित होना चाहिए इस विषय पर बहुमूल्य विचार रखने के लिए आमंत्रित करता हूँ /आशा है देश हित के इस विषय पर आप अपना विचार जरूर रखेंगे / अपने विचारों को लिखने के लिए निचे लिखे हमारे लिंक पर जाये /उम्दा विचारों को सम्मानित करने की भी व्यवस्था है /
    http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html

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  8. shekhar aap bahut acchaa likhate hain, han room for progress har samay available hota hai.aap kafi aage jaayenge. subhakaamanaayen.

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  9. SAMEER JI NE SAHI BAAT BADE HI KAM SHABDO ME KAHI!
    SHUBHKAAMNAAYE SWIKAAR KARE...

    KUNWAR JI,

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  10. कुमावत जी!
    अपनी राह चलते रहो!
    अच्छा लगता है तुम्हे प्रतिदिन लिखता देख कर!

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  11. aap aane wale samay me safalta ki seedhiyan chadhen .inhi shubh kamnaaon ke saath.
    poonam

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  12. अच्छी सलाह दी है आप के पिता जी ने ... अमल में लायें...शुभकामनाएं...

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  13. पिता जी सही ही कहते हैं..आगे बढ़ें..शुभकामनायें.

    _________________
    "शब्द-शिखर" पर इस बार गुड़िया (doll) की दुनिया !

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  14. bhai shekhar apana comment process easy karen to hum jaise logon ko aasani hogi jaikrishnarai tushar

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  15. शेखर जी ... पढ़ने के साथ साथ लिखना भी अपने आप में अच्छे लेखक बनने का रास्ता है ... सतत लेखन खुद को परिपक्व करता है ऐसा मेरा मानना है ... और जब कभी आप अपनी खुद की ही पुरानी रचनाएँ पढ़ेंगे ... कुछ न कुछ नया सीखेंगे ... मेरी शुभकामनाएँ है आपको ...

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  16. हमारी शुभकामनाएं आप के साथ हैं..

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  17. एक राह पर चलते चलो ,मंजिल स्वयं पास आती चली जाएगी |
    आपका ब्लॉग बहुत प्रभावशाली है |

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  18. बहूत अच्छा! शेखरजी ! हमे आपकी ईमानदारी ओर सादगी भा गयी ! आपके पिताजी बिलकुल ठीक कहते हैं ,अगर अत्म्मुल्यांक्न करना आ जाये तो कोई शिकायत ही नहीं राह जाती ! अच्छे लेखन की शुभकामनाएं !

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