Shekhar Kumawat's Blog
बहुत बढ़िया मुक्तक है ये तो!प्रतिदिन कुछ न कुछ लिखते रहो!निखार आता जायेगा!
ना चाँद दिखा ना तुम दिखे , अमावस की तरह ||बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
सुंदर मुक्तक !!! बेहतरीन लेखन । आपका ब्लॉग सुंदर लगा ।
bahut behatarin likha hai.. lajwaab
बहुत सुन्दर मुक्तक
बेबफाओ की महफ़िल मैं बेबफा से बफा कर बैठे सच्चे आशिक का यही अंजाम होता हैं बहुत सुन्दर मुक्तक! अंतेमन को छु गया
सुन्दर मुक्तक के लिए मेरी बधाई.
bahut sunder.
शेखर भैया!ब्लोग बहुत सुंदर है. कविता में और कसावट लाओ.शाबाश! लगे रहो!
संवेदना को सलाम | आप बहुत छोटे हो , हाँ मेरा शेर टूटे हुए दिलों को जरुर सुनाना , ये भी एक सच है कि जब हम दर्द की परवाह करना छोड़ देते हैं तब गम भी रफूचक्कर हो जाता है |
मगर निकला बेवफा ये आसमा भी तेरी तरह...वाह क्या खूब कहा...सुंदर
महका गये आपके अल्फाजगुनगुनाने को फिर सेलो शाम गिर आयी
बहुत कम शब्दों में आप अपनी बात कह देते हैं, अच्छा लगा आप को पढना
बहुत खूब लिखते हो शेखर जी. लगता है साहित्य आपके संस्कारों में कूट-कूट कर भरा हुआ है. लगभग सभी रचनाएँ बेहतरीन हैं.
पूर्णिमा की रात, होगा बेशक तेरा दीदार किसी तरह |मगर निकला बेवफा ये आसमां भी तेरी तरह ||रात भर छाई रही घटायें, फलक में चारो ओर |ना चाँद दिखा ना तुम दिखे , अमावस की तरह ||Behad dilkash muktak!
पूर्णिमा की रात, होगा बेशक तेरा दीदार किसी तरह |मगर निकला बेवफा ये आसमां भी तेरी तरह ||BAHUT SUNDAR!!
वाह कुमावत जी...चार पंक्तियों में ही बहुत कह दिया.
sundar muktak
in char panktiyo me kitana kuchh kah dia aapne .kamal ka likhte hai.
KASAM SE BAHUT ACHA LIKHA HAI BROTHER I LIKE IT
Very good
Bahut hi nikharti hui abhivyakti se roobaroo hui hoon. Badhayi evam shubhkamnayeinDevi nangrani
बहुत बढ़िया मुक्तक है ये तो!
जवाब देंहटाएंप्रतिदिन कुछ न कुछ लिखते रहो!
निखार आता जायेगा!
ना चाँद दिखा ना तुम दिखे , अमावस की तरह ||
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
सुंदर मुक्तक !!! बेहतरीन लेखन । आपका ब्लॉग सुंदर लगा ।
जवाब देंहटाएंbahut behatarin likha hai.. lajwaab
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मुक्तक
जवाब देंहटाएंबेबफाओ की महफ़िल मैं बेबफा से बफा कर बैठे
जवाब देंहटाएंसच्चे आशिक का यही अंजाम होता हैं
बहुत सुन्दर मुक्तक!
अंतेमन को छु गया
सुन्दर मुक्तक के लिए मेरी बधाई.
जवाब देंहटाएंbahut sunder.
जवाब देंहटाएंशेखर भैया!
जवाब देंहटाएंब्लोग बहुत सुंदर है. कविता में और कसावट लाओ.
शाबाश! लगे रहो!
संवेदना को सलाम | आप बहुत छोटे हो , हाँ मेरा शेर टूटे हुए दिलों को जरुर सुनाना , ये भी एक सच है कि जब हम दर्द की परवाह करना छोड़ देते हैं तब गम भी रफूचक्कर हो जाता है |
जवाब देंहटाएंमगर निकला बेवफा ये आसमा भी तेरी तरह...
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब कहा...सुंदर
महका गये आपके अल्फाज
जवाब देंहटाएंगुनगुनाने को फिर से
लो शाम गिर आयी
बहुत कम शब्दों में आप अपनी बात कह देते हैं, अच्छा लगा आप को पढना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखते हो शेखर जी. लगता है साहित्य आपके संस्कारों में कूट-कूट कर भरा हुआ है. लगभग सभी रचनाएँ बेहतरीन हैं.
जवाब देंहटाएंपूर्णिमा की रात, होगा बेशक तेरा दीदार किसी तरह |
जवाब देंहटाएंमगर निकला बेवफा ये आसमां भी तेरी तरह ||
रात भर छाई रही घटायें, फलक में चारो ओर |
ना चाँद दिखा ना तुम दिखे , अमावस की तरह ||
Behad dilkash muktak!
पूर्णिमा की रात, होगा बेशक तेरा दीदार किसी तरह |
जवाब देंहटाएंमगर निकला बेवफा ये आसमां भी तेरी तरह ||
BAHUT SUNDAR!!
वाह कुमावत जी...चार पंक्तियों में ही बहुत कह दिया.
जवाब देंहटाएंsundar muktak
जवाब देंहटाएंin char panktiyo me kitana kuchh kah dia aapne .kamal ka likhte hai.
जवाब देंहटाएंKASAM SE BAHUT ACHA LIKHA HAI BROTHER
जवाब देंहटाएंI LIKE IT
Very good
जवाब देंहटाएंBahut hi nikharti hui abhivyakti se roobaroo hui hoon. Badhayi evam shubhkamnayein
जवाब देंहटाएंDevi nangrani