wajan kitna bhi ho hath thamaye rakhna, daldal kitna bhi ho per jamaye rakhna, koan khta h ki chalni me pani nhi rukta, burf jamne tak hath lagaye rakhna...
thank u 4 so efforts.... 4 help contect me........ your real brother manoj jaipur
आपने अपने परिचय में लिखा है गलतियां सुधारने में मदद करेंगे तो लो प्रोफाइल में हिंदी की कई गलतियां थी वो ठीक कर दी है। अब इसे कॉपी करके पेस्ट कर देना। i hope u d't mide dharmendrabchouhan@gmail.com bye tc
अपने पांव पर खड़ा हुआ तो अपनी गलतियों से संभला , ज़माने की बातों को सुना और अपने दिल के तराजू में तोला। सोच समझकर कदम उठाना तो दूर सिर्फ चलना ही चाहा | अपनो को अपना और परायों को खास समझ कर जिन्दगी काटता रहा | दूर बैठकर एक विशाल पर्वत को रोज देखता वो कोई और नहीं मीरा की तपस्वी और पन्ना की त्याग की भूमि गढ़चित्तौड़ है | अपनी जन्मभूमि के जबरदस्त इतिहास के कारण आज तक में अपने आप को गौरवांन्वित महसूस करता हूँ | मेरे पिता व माँ शारदा की असीम कृपा से मैंने लिखना शुरू किया अपने पिता को अपना गुरु मान अपने जीवन का एक हिस्सा साहित्य को समर्पित करने का जो फैसला जो मैंने लिया उससे जीवन को एक नए रूप में जीना सीख लिया। मुझे दिल के जज्बात ज़माने के आइने में कुछ और ही नजर आये , अपनी सोच से कई गुना तेज दौड़ते इस ज़माने को देखने समझने और जानने में अपना वक़्त गुजारता रहा | आशा करता हू कि ये बातें तक पहुंचेंगी और आप मेरी गलतियों को सुधारने में मदद करेंगे|
kya baat hai dil nikal kar rakh diya
जवाब देंहटाएंSAHI LIKHA HAI JAB KISI SE PYAR HOTA HAI TO HAMESHA USKA INTJAR HI RAHTA H
जवाब देंहटाएंMERE SHTH BHI KUCH ESA HI DEAR
बहुत सुन्ग मुक्तक लगाया है आपने!
जवाब देंहटाएंबधाई!
kya baat ha tanhai mitane k liye maykhane ka sahara..
जवाब देंहटाएंye maykhana kavitaon tak hi seemit rakhiye,
जवाब देंहटाएंkavita achhi hai
dhnyavad
बस तेरी याद ही रही, जो ले आई मुझे मयखाने में ||...bahut sundar, badhai.
जवाब देंहटाएंराम राम जी,
जवाब देंहटाएंसंभालो भई अपने आप को....
बहुत सुन्दर रचना ......!
शुभकामनाये स्वीकार करें,और धन्यवाद सहयोग के लिए...
कुंवर जी,
यादों को भुलाने के लिए ही तो मयखाने की शरण लेना होती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मुक्तक , बधाई
tanha guzar gaya jo safar uska kya
जवाब देंहटाएंlaut aayi ho tum par ab matlab kya
lut gaya mai to pehle hi saaki-e-mehfil men
tum na thin fir may ka paymana kya
shringar ras ka uttma prayog....wah....
जवाब देंहटाएंbehtari ki gunzaish hai ..
जवाब देंहटाएंकित्ता सुन्दर लिखा है आपने..है ना.
जवाब देंहटाएं_________________________
'पाखी की दुनिया' में जरुर देखें-'पाखी की हैवलॉक द्वीप यात्रा' और हाँ आपके कमेंट के बिना तो मेरी यात्रा अधूरी ही कही जाएगी !!
आप मेरे ब्लॉग पर आये , अपना कीमती समय दिया और टिप्पड़ी की , धन्यावाद , आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है , आपसे नियमित प्रोत्साहन की दरकार है
जवाब देंहटाएंdear friend kumawat your blog is very nice pls follow my blog
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है आपने...
जवाब देंहटाएंबधाई...
wajan kitna bhi ho hath thamaye rakhna, daldal kitna bhi ho per jamaye rakhna, koan khta h ki chalni me pani nhi rukta, burf jamne tak hath lagaye rakhna...
जवाब देंहटाएंthank u 4 so efforts.... 4 help contect me........ your real brother manoj jaipur
vakai acchi rachna lagai
जवाब देंहटाएंbadhai
Mere Bhai.
बहुत खूब जनाब मजा आ गया दो लाइन पढ़कर
जवाब देंहटाएंdharmendrabchouhan.blogspot.com
अख़बार की बात
आपने अपने परिचय में लिखा है गलतियां सुधारने में मदद करेंगे तो लो प्रोफाइल में हिंदी की कई गलतियां थी वो ठीक कर दी है। अब इसे कॉपी करके पेस्ट कर देना। i hope u d't mide
जवाब देंहटाएंdharmendrabchouhan@gmail.com
bye tc
अपने पांव पर खड़ा हुआ तो अपनी गलतियों से संभला , ज़माने की बातों को सुना और अपने दिल के तराजू में तोला। सोच समझकर कदम उठाना तो दूर सिर्फ चलना ही चाहा | अपनो को अपना और परायों को खास समझ कर जिन्दगी काटता रहा | दूर बैठकर एक विशाल पर्वत को रोज देखता वो कोई और नहीं मीरा की तपस्वी और पन्ना की त्याग की भूमि गढ़चित्तौड़ है | अपनी जन्मभूमि के जबरदस्त इतिहास के कारण आज तक में अपने आप को गौरवांन्वित महसूस करता हूँ | मेरे पिता व माँ शारदा की असीम कृपा से मैंने लिखना शुरू किया अपने पिता को अपना गुरु मान अपने जीवन का एक हिस्सा साहित्य को समर्पित करने का जो फैसला जो मैंने लिया उससे जीवन को एक नए रूप में जीना सीख लिया। मुझे दिल के जज्बात ज़माने के आइने में कुछ और ही नजर आये , अपनी सोच से कई गुना तेज दौड़ते इस ज़माने को देखने समझने और जानने में अपना वक़्त गुजारता रहा | आशा करता हू कि ये बातें तक पहुंचेंगी और आप मेरी गलतियों को सुधारने में मदद करेंगे|
बहुत सुंदर लिखा है आपने...
जवाब देंहटाएंबधाई...
शाम ढलती रही , और सूरज डूब गया सागर में |
जवाब देंहटाएंबस तेरी याद ही रही, जो ले आई मुझे मयखाने में ||
लोग कहते हे संभल जाओ , ये बाली उमरिया हे |
हम कहते हे आजाओ सजनी, अब तो तनहाई में ||
kya baat kahi ,bahut sundar