वफ़ा के नगमे गाते-गाते, यूँ बेवफ़ा हो गए |
तेरी खेरियत का ख़त पढ़ा और खफा हो गए ||
खुदा ने तुझे किस मिटटी से बनाया जालिम |
आए तेरे दीदार के वास्ते, और तबाह हो गए ||
तेरी खेरियत का ख़त पढ़ा और खफा हो गए ||
खुदा ने तुझे किस मिटटी से बनाया जालिम |
आए तेरे दीदार के वास्ते, और तबाह हो गए ||
शेखर कुमावत
सुन्दर मुक्तक हैं!
जवाब देंहटाएंबधाई!
Bahut achha muktak hai...keep it up
जवाब देंहटाएंतेरे दीदार के वास्ते आए, और तबाह हो गए ||
जवाब देंहटाएं....बहुत खूब, लाजबाब !
ACHA LIKHA HAI MERE DOST IT IS VERY NICE
जवाब देंहटाएंखुदा ने तुझे किस मिटटी से बनाया जालिम |
जवाब देंहटाएंतेरे दीदार के वास्ते आए, और तबाह हो गए ||
.....
खुदा ने तुझे किस मिटटी से बनाया जालिम |
जवाब देंहटाएंतेरे दीदार के वास्ते आए, और तबाह हो गए ||
Wah! Wah!
खुदा ने तुझे किस मिटटी से बनाया जालिम |
जवाब देंहटाएंतेरे दीदार के वास्ते आए, और तबाह हो गए
bahut sundar lagi
sunder muktak... pyar se hat kar bhi likhe vyapakta aayegee rachna me...
जवाब देंहटाएंवफ़ा के नगमे गाते-गाते, फिर बेवफ़ा हो गए |
जवाब देंहटाएंतेरी खेरियत का ख़त पढ़ कर खफा हो गए ||
खुदा ने तुझे किस मिटटी से बनाया जालिम |
तेरे दीदार के वास्ते आए, और तबाह हो गए ||
Laajabaab !
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत लिखा है साहब...
जवाब देंहटाएंbahut acchha likhte hai aap.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति...आपका ब्लॉग बेहतरीन है..शुभकामनायें.
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सुन्दर है ...
जवाब देंहटाएंDobara comment kar rahi hun...wartani ke liye...Sahi shabd hai' khairiyat'...aapne likha hai 'kheriyat'..Bhav to sundar hain hi..
जवाब देंहटाएंखुदा ने तुझे किस मिट्टी का बनाया जालीम हम तुम्हारी कविताओ के दिवाने हो गये.
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