मुस्कुराते बहुत है

 लगा के मेहंदी वो इतराते बहुत है

अकेले में वो मुस्कुराते बहुत है


शरमा के वो जब आईना देखते

खुद-ब-खुद वो लज्जाते बहुत है


रह कर भी साजन की बाहों में 

मेरी यादो में खो जाते बहुत है


इससे बड़ी क्या सजा है मेरी

मेरे हिस्से के आंसू बहाते बहुत है


एक अरसे से जुदा है मुझ से

जाने क्यों मेरे दिल में आते बहुत है


 © Shekhar Kumawat 



मोहब्बत है तो है


 

मुझे उनसे, मोहब्बत है तो है
उसे भी मुझसे नफरत है तो है

चाहूँ में उसको, ये आरजू मेरी
ये जमाने से बगावत है तो है

ख्वाबो में उसके, में आ जाउँ
ये मेरी दिली हसरत है तो है

उम्र भर रहना है, जुदा होकर
ये मेरी बदकिस्मत है तो है

 © Shekhar Kumawat 



हालात-ए-सूरत.....

हालात-ए-सूरत बदलनी चाहिए ।
तब्दीली जमीं पे दिखनी चाहिए ।।

गुलिस्ता में फूल खिले ना खिले ।
चहरो पे रौनक दिखानी चाहिए ।।

© Shekhar Kumawat


तेरा चहरा ....

तुझेे मेरा चेहरा देख के याद आती है..
मुझे हर चेहरा देख के तेरी याद आती है...

© Shekhar Kumawat



खुदा की इब्बादत....

अपनी मोहब्बत पर इतना इल्म न कर.
खाक-ए-बदन पे इतना फक्र न कर..  
इश्क तो खुदा की इब्बादत है यारा.
इसे ठुकरा कर उसकी तौहीन न कर..



इल्म = ज्ञान, जानकारी
फक्र = गर्व
तौहीन = बेइज़्ज़ती, अपमान

© Shekhar Kumawat

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