हालात-ए-सूरत.....

हालात-ए-सूरत बदलनी चाहिए ।
तब्दीली जमीं पे दिखनी चाहिए ।।

गुलिस्ता में फूल खिले ना खिले ।
चहरो पे रौनक दिखानी चाहिए ।।

© Shekhar Kumawat


1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-08-2019) को "खोया हुआ बसन्त" (चर्चा अंक- 3426) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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