काव्य वाणी
Shekhar Kumawat's Blog
खुदा की इब्बादत....
अपनी मोहब्बत पर इतना
इल्म
न कर.
खाक-ए-बदन
पे इतना
फक्र
न कर..
इश्क
तो खुदा की
इब्बादत
है यारा.
इसे
ठुकरा
कर उसकी
तौहीन
न कर..
इल्म = ज्ञान, जानकारी
फक्र = गर्व
तौहीन = बेइज़्ज़ती, अपमान
©
Shekhar Kumawat
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