शेखर! पहले तो एक अच्छी रचना, बल्कि कुछ अच्छी रचनाओं के लिए बधाई और शुभकामनाएँ। फिर, इस बात का ज़िक्र कि तुम्हारी रचनाशीलता में कुछ बात है, कुछ है जो मजबूर कर रहा है मुझे कि मैं झूठी औपचारिकताओं से परे जाकर अपनेपन से बात करूँ तुमसे, और इसीलिए मैं सीधे 'आप' से 'तुम' पर आ गया हूँ। साज-सज्जा की समझ भी बहुत अच्छी है तुम्हारी, प्रयास भी अच्छा और स्तुत्य है। अब बात सुधारों की जो अपेक्षित हैं - भाषा को और समृद्धि देने के लिए आवश्यक है कि अच्छी और स्तरीय पुस्तकें पढ़ी जाएँ, उर्दू को समृद्ध बनाने के लिए एक अच्छे शब्दकोश की ज़रूरत भी पड़ेगी। वर्तनी में त्रुटि न होने पाए, क्योंकि यह चीज़ (स्पेलिंग मिस्टेक) बहुत तीव्रता से अखरती है, और कम समय में ही पकड़ जाती है। मैं यह नहीं कह रहा कि ऐसी गलती है, मैं तो सिर्फ़ सुझाव दे रहा हूँ। अगर स्तरीय लेखन करना है तो व्याकरण की गलतियाँ न हों यह सबसे पहली ज़रूरत है और इसके लिए जिस शिल्प में काम करना हो उसकी समझ भी ज़रूरी है। मैं समझता हूँ कि जो लगन दिखती है तुममें, वह तुम्हें बहुत आगे तक ले जाने वाली है। और अब एक बार फिर, "शबनमी लू" के लिए प्रशंसा, क्योंकि यह एक ऐसा कवित्वपूर्ण अद्भुत प्रयोग है जो सर्वथा नवीन है - पहले न कहीं देखा, न सुना, न पढ़ा। मैं जल्दी-जल्दी टिप्पणी टिका कर भागता नहीं क्योंकि शायद मेरी समझने-परखने की गति धीमी है, मगर एक बात पक्की है, कि मैं आता रहूँगा यहाँ।
हिमान्शु मोहन का COMMENT देखा . मुझे इस ग़ज़ल से ज्यादा अच्छा लगा . लगा बडे भैया समझा रहे है , बड़ा अपनत्व है उनके शब्दों में . मुझे नही पता शेखर इस ओर ध्यान देंगे या नही , मैंने तो गांठ बाँध ली है .
वैसे शेखर का प्रयास अच्छा है . बस लाईने कुछ कम है . २ STANZA की ग़ज़ल तो लगता है कुछ अधूरी ही है , लेकिन यदि प्रयास करते रहेंगे तो पूरी हो जायेगी .
हिमांशू मोहन की बात एक और ओर इशारा करती है , FELLOW ब्लॉगर ज़ल्दी जल्दी में एक लाइन कमेन्ट मार कर चल देते है , कभी कभी तो लगता है पोस्ट पढ़ा भी कि यूँ ही पहेले कमेन्ट ही लिख दिया बाद में देखने लगे POST क्या था .
वाह!! क्या बात है!!बहुत बढिया!
जवाब देंहटाएंअब गुफ्तगुं करता रहता हैं वो अक्सर अपने आप से ||
जवाब देंहटाएंदवाएं इसलिए बेअसर हैं कि वो शबनमी लू से जल गया ||
वाह...क्या नजाकत है.....सुन्दर
shabnami loo se jalna pahali baar suna
जवाब देंहटाएंBahut khub shekhavat ji
bahut hi satik shabdon ka chayan hai
जवाब देंहटाएंShabnami LOO se jal gaya
badhai!
Shekhar+kumawat= shekhavat ji
aaj tippaniyaa kam mili hai kyaa. bahiaya jee
जवाब देंहटाएंAPNI MAATI
MANIKNAAMAA
अब हा क्या कहें लाजवाब को तो लाजवाब ही कहना पड़ेगा!
जवाब देंहटाएंअब गुफ्तगुं करता रहता हैं वो अक्सर अपने आप से ||
जवाब देंहटाएंदवाएं इसलिए बेअसर हैं कि वो शबनमी लू से जल गया ||
दवाएं .....???
कौन सी थीं होमियोपथी या एलोपैथी .....???
'Shabnami loo'..kitna anootha khayal hai!
जवाब देंहटाएंसुन्दर हैं, दोनों शेर.
जवाब देंहटाएंवाह ! क्या बात है !
जवाब देंहटाएंएक हवा का झोंका , उसके करीब से जो निकल गया
जवाब देंहटाएंबाद उस लम्हें के वो लाजवाब मिजाज ही बदल गया
बहुत ही लाजवाब शेर ... मौसम बदल जाता है उनके एहसास से ... क्या कहने हैं ग़ज़ब ...
एक दम अद्भुत है दोस्त। लेकिन मुझे लगता है लम्हें का लिखना था।
जवाब देंहटाएंjabardast......
जवाब देंहटाएंआपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा यहाँ भी तो है!
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_19.html
बहुत सुन्दर ! 'शबनमी लू' क्या बात है !
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंvaah vaah....kyaa baat....kyaa baat....kyaa baat.. ....subhaanallah....irshaad.....
जवाब देंहटाएंhwa ke jhoke se mijaj badal jana lajmi hai aur ise shbdon me bya kiya ........bahut khub kiya
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब शेर ... मौसम बदल जाता है उनके एहसास से ... क्या कहने हैं ग़ज़ब ...
जवाब देंहटाएंवाह वाह क्या बात है! लाजवाब मुक्तक! बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंdhanyavad,aapne gagar me saagar bharne ki koshish ki hai.....
जवाब देंहटाएंकुमावत जी ,आप ने सुन्दर भावों को अभिव्यक्ति दी है बधाई.
जवाब देंहटाएंकाव्यवाणी पर आना अच्छा लगा....लेकिन आपकी रचनाओं की तरह ही आपका तस्वीर सेलेक्शन बहुत अच्छा है..
जवाब देंहटाएंkafi sundar najm........
जवाब देंहटाएंdil khush kar diya apne.........
badhayi........
तडप-तडप के जी रहा अब,कि उसका अक्स भी बदल गया,
जवाब देंहटाएंजला था सिर्फ़ वो,पर उसका सब कुछ झुलस गया........
कुमावत जी आपकी रचनाएँ छोटी है पर इनके अर्थ बढ़े गहरे हैं। इसी अंदाज से लिखते रहे हमें कुछ बेहतरीन पढ़ने का मौका मिलता रहेगा। ....
जवाब देंहटाएंKya baat hai hukum...keep it up
जवाब देंहटाएंbahut gehre bhaav liye huai he apki chhoti si rachna.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ,
जवाब देंहटाएंछोटी सी उम्र में अहसास बड़े गहरे हैं ,
यकीं नहीं होता मगर अल्फाज़ बड़े ठहरे हैं ।
शबनमी लू -खूबसूरत !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,लाजवाब,बेहतरीन। बधाई हो।
जवाब देंहटाएंपहली बार आया आप के ब्लॉग पर मुक्तकों में आपने बेहद खुबसूरत काम किया है. अच्छा लगा पढ़ कर साथ में चित्रों ने कमल किया है
जवाब देंहटाएंBAHUT BADIYA
जवाब देंहटाएंशेखर!
जवाब देंहटाएंपहले तो एक अच्छी रचना, बल्कि कुछ अच्छी रचनाओं के लिए बधाई और शुभकामनाएँ।
फिर, इस बात का ज़िक्र कि तुम्हारी रचनाशीलता में कुछ बात है, कुछ है जो मजबूर कर रहा है मुझे कि मैं झूठी औपचारिकताओं से परे जाकर अपनेपन से बात करूँ तुमसे, और इसीलिए मैं सीधे 'आप' से 'तुम' पर आ गया हूँ।
साज-सज्जा की समझ भी बहुत अच्छी है तुम्हारी, प्रयास भी अच्छा और स्तुत्य है।
अब बात सुधारों की जो अपेक्षित हैं - भाषा को और समृद्धि देने के लिए आवश्यक है कि अच्छी और स्तरीय पुस्तकें पढ़ी जाएँ, उर्दू को समृद्ध बनाने के लिए एक अच्छे शब्दकोश की ज़रूरत भी पड़ेगी।
वर्तनी में त्रुटि न होने पाए, क्योंकि यह चीज़ (स्पेलिंग मिस्टेक) बहुत तीव्रता से अखरती है, और कम समय में ही पकड़ जाती है। मैं यह नहीं कह रहा कि ऐसी गलती है, मैं तो सिर्फ़ सुझाव दे रहा हूँ।
अगर स्तरीय लेखन करना है तो व्याकरण की गलतियाँ न हों यह सबसे पहली ज़रूरत है और इसके लिए जिस शिल्प में काम करना हो उसकी समझ भी ज़रूरी है।
मैं समझता हूँ कि जो लगन दिखती है तुममें, वह तुम्हें बहुत आगे तक ले जाने वाली है।
और अब एक बार फिर, "शबनमी लू" के लिए प्रशंसा, क्योंकि यह एक ऐसा कवित्वपूर्ण अद्भुत प्रयोग है जो सर्वथा नवीन है - पहले न कहीं देखा, न सुना, न पढ़ा।
मैं जल्दी-जल्दी टिप्पणी टिका कर भागता नहीं क्योंकि शायद मेरी समझने-परखने की गति धीमी है, मगर एक बात पक्की है, कि मैं आता रहूँगा यहाँ।
dhanyawad shekhar kumawat ji
जवाब देंहटाएंaapka blog bahot sundar hai..
bada hi umda khyal hai...........gazab.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..अच्छा लिखते हैं आप ..शुक्रिया
जवाब देंहटाएंमैं हिमांशु मोहन की बात का समर्थन करती हूँ
जवाब देंहटाएंहिमान्शु मोहन का COMMENT देखा . मुझे इस ग़ज़ल से ज्यादा अच्छा लगा . लगा बडे भैया समझा रहे है , बड़ा अपनत्व है उनके शब्दों में . मुझे नही पता शेखर इस ओर ध्यान देंगे या नही , मैंने तो गांठ बाँध ली है .
जवाब देंहटाएंवैसे शेखर का प्रयास अच्छा है . बस लाईने कुछ कम है . २ STANZA की ग़ज़ल तो लगता है कुछ अधूरी ही है , लेकिन यदि प्रयास करते रहेंगे तो पूरी हो जायेगी .
हिमांशू मोहन की बात एक और ओर इशारा करती है , FELLOW ब्लॉगर ज़ल्दी जल्दी में एक लाइन कमेन्ट मार कर चल देते है , कभी कभी तो लगता है पोस्ट पढ़ा भी कि यूँ ही पहेले कमेन्ट ही लिख दिया बाद में देखने लगे POST क्या था .
http://onehindi.blogspot.com/
जय श्री कृष्ण...अति सुन्दर....बहुत खूब....बड़े खुबसूरत तरीके से भावों को पिरोया हैं...| हमारी और से बधाई स्वीकार करें..
जवाब देंहटाएंअब गुफ्तगुं करता रहता , वो अक्सर अपने आप से |
जवाब देंहटाएंदवाएं इसलिए बेअसर , वो शबनमी लू से जल गया ||
Badhai!!