वो शबनमी लू से जल गया


वो
हवा का झोंका , जो उसके करीब से निकल गया |
बाद उस लम्हें के लाजवाब, मिज़ाज ही बदल गया ||

अब गुफ्तगुं करता रहता , वो अक्सर अपने आप से |
दवाएं इसलिए बेअसर , वो शबनमी लू से जल गया ||


शेखर कुमावत

41 टिप्‍पणियां:

  1. अब गुफ्तगुं करता रहता हैं वो अक्सर अपने आप से ||
    दवाएं इसलिए बेअसर हैं कि वो शबनमी लू से जल गया ||


    वाह...क्या नजाकत है.....सुन्दर

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  2. bahut hi satik shabdon ka chayan hai

    Shabnami LOO se jal gaya
    badhai!

    Shekhar+kumawat= shekhavat ji

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  3. अब हा क्या कहें लाजवाब को तो लाजवाब ही कहना पड़ेगा!

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  4. अब गुफ्तगुं करता रहता हैं वो अक्सर अपने आप से ||
    दवाएं इसलिए बेअसर हैं कि वो शबनमी लू से जल गया ||

    दवाएं .....???

    कौन सी थीं होमियोपथी या एलोपैथी .....???

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  5. एक हवा का झोंका , उसके करीब से जो निकल गया
    बाद उस लम्हें के वो लाजवाब मिजाज ही बदल गया

    बहुत ही लाजवाब शेर ... मौसम बदल जाता है उनके एहसास से ... क्या कहने हैं ग़ज़ब ...

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  6. एक दम अद्भुत है दोस्त। लेकिन मुझे लगता है लम्हें का लिखना था।

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  7. आपकी इस सुन्दर पोस्ट की चर्चा यहाँ भी तो है!
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_19.html

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  8. बहुत सुन्दर ! 'शबनमी लू' क्या बात है !

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  9. hwa ke jhoke se mijaj badal jana lajmi hai aur ise shbdon me bya kiya ........bahut khub kiya

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  10. बहुत ही लाजवाब शेर ... मौसम बदल जाता है उनके एहसास से ... क्या कहने हैं ग़ज़ब ...

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  11. वाह वाह क्या बात है! लाजवाब मुक्तक! बहुत बहुत बधाई!

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  12. कुमावत जी ,आप ने सुन्दर भावों को अभिव्यक्ति दी है बधाई.

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  13. काव्यवाणी पर आना अच्छा लगा....लेकिन आपकी रचनाओं की तरह ही आपका तस्वीर सेलेक्शन बहुत अच्छा है..

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  14. kafi sundar najm........
    dil khush kar diya apne.........
    badhayi........

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  15. तडप-तडप के जी रहा अब,कि उसका अक्स भी बदल गया,
    जला था सिर्फ़ वो,पर उसका सब कुछ झुलस गया........

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  16. कुमावत जी आपकी रचनाएँ छोटी है पर इनके अर्थ बढ़े गहरे हैं। इसी अंदाज से लिखते रहे हमें कुछ बेहतरीन पढ़ने का मौका मिलता रहेगा। ....

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  17. बहुत खूब ,
    छोटी सी उम्र में अहसास बड़े गहरे हैं ,
    यकीं नहीं होता मगर अल्फाज़ बड़े ठहरे हैं ।

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  18. बहुत खूब,लाजवाब,बेहतरीन। बधाई हो।

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  19. पहली बार आया आप के ब्लॉग पर मुक्तकों में आपने बेहद खुबसूरत काम किया है. अच्छा लगा पढ़ कर साथ में चित्रों ने कमल किया है

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  20. शेखर!
    पहले तो एक अच्छी रचना, बल्कि कुछ अच्छी रचनाओं के लिए बधाई और शुभकामनाएँ।
    फिर, इस बात का ज़िक्र कि तुम्हारी रचनाशीलता में कुछ बात है, कुछ है जो मजबूर कर रहा है मुझे कि मैं झूठी औपचारिकताओं से परे जाकर अपनेपन से बात करूँ तुमसे, और इसीलिए मैं सीधे 'आप' से 'तुम' पर आ गया हूँ।
    साज-सज्जा की समझ भी बहुत अच्छी है तुम्हारी, प्रयास भी अच्छा और स्तुत्य है।
    अब बात सुधारों की जो अपेक्षित हैं - भाषा को और समृद्धि देने के लिए आवश्यक है कि अच्छी और स्तरीय पुस्तकें पढ़ी जाएँ, उर्दू को समृद्ध बनाने के लिए एक अच्छे शब्दकोश की ज़रूरत भी पड़ेगी।
    वर्तनी में त्रुटि न होने पाए, क्योंकि यह चीज़ (स्पेलिंग मिस्टेक) बहुत तीव्रता से अखरती है, और कम समय में ही पकड़ जाती है। मैं यह नहीं कह रहा कि ऐसी गलती है, मैं तो सिर्फ़ सुझाव दे रहा हूँ।
    अगर स्तरीय लेखन करना है तो व्याकरण की गलतियाँ न हों यह सबसे पहली ज़रूरत है और इसके लिए जिस शिल्प में काम करना हो उसकी समझ भी ज़रूरी है।
    मैं समझता हूँ कि जो लगन दिखती है तुममें, वह तुम्हें बहुत आगे तक ले जाने वाली है।
    और अब एक बार फिर, "शबनमी लू" के लिए प्रशंसा, क्योंकि यह एक ऐसा कवित्वपूर्ण अद्भुत प्रयोग है जो सर्वथा नवीन है - पहले न कहीं देखा, न सुना, न पढ़ा।
    मैं जल्दी-जल्दी टिप्पणी टिका कर भागता नहीं क्योंकि शायद मेरी समझने-परखने की गति धीमी है, मगर एक बात पक्की है, कि मैं आता रहूँगा यहाँ।

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  21. बहुत खूब ..अच्छा लिखते हैं आप ..शुक्रिया

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  22. मैं हिमांशु मोहन की बात का समर्थन करती हूँ

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  23. हिमान्शु मोहन का COMMENT देखा . मुझे इस ग़ज़ल से ज्यादा अच्छा लगा . लगा बडे भैया समझा रहे है , बड़ा अपनत्व है उनके शब्दों में . मुझे नही पता शेखर इस ओर ध्यान देंगे या नही , मैंने तो गांठ बाँध ली है .

    वैसे शेखर का प्रयास अच्छा है . बस लाईने कुछ कम है . २ STANZA की ग़ज़ल तो लगता है कुछ अधूरी ही है , लेकिन यदि प्रयास करते रहेंगे तो पूरी हो जायेगी .



    हिमांशू मोहन की बात एक और ओर इशारा करती है , FELLOW ब्लॉगर ज़ल्दी जल्दी में एक लाइन कमेन्ट मार कर चल देते है , कभी कभी तो लगता है पोस्ट पढ़ा भी कि यूँ ही पहेले कमेन्ट ही लिख दिया बाद में देखने लगे POST क्या था .


    http://onehindi.blogspot.com/

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  24. जय श्री कृष्ण...अति सुन्दर....बहुत खूब....बड़े खुबसूरत तरीके से भावों को पिरोया हैं...| हमारी और से बधाई स्वीकार करें..

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  25. अब गुफ्तगुं करता रहता , वो अक्सर अपने आप से |
    दवाएं इसलिए बेअसर , वो शबनमी लू से जल गया ||

    Badhai!!

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