इस भरी दोपहरी में, क्यूँ शमा जलाए बैठी हो |
किसका इंतजार है , जो द्वार खोले बैठी हो||
ये कैसी तलब है, जो पलके बिछाए बैठी हो|
ये कैसी तन्हाई है, जो बेचैन हुए बैठी हो||
निकला पतझड सावन, निकला बसंत-बहार |
किसका इंतजार है, जो आस लगाए बैठी हो ||
कैसे कैसे राज़ जो ख़ामोशी ने छिपायें रखे है |
हाय ! ऐसी मोहब्बत जो परदेसी से कर बैठी हो ||
किसका इंतजार है , जो द्वार खोले बैठी हो||
ये कैसी तलब है, जो पलके बिछाए बैठी हो|
ये कैसी तन्हाई है, जो बेचैन हुए बैठी हो||
निकला पतझड सावन, निकला बसंत-बहार |
किसका इंतजार है, जो आस लगाए बैठी हो ||
कैसे कैसे राज़ जो ख़ामोशी ने छिपायें रखे है |
हाय ! ऐसी मोहब्बत जो परदेसी से कर बैठी हो ||
:- शेखर कुमावत
वाह वाह... विरह की भावना से ओत-प्रोत.
जवाब देंहटाएंShayad aise hee ahsaas hote hain,jab kisee se juda hote hain..
जवाब देंहटाएंविरह भावना का सुन्दर चित्रण....
जवाब देंहटाएंachchha prayas. panktiyon men lay tatha bhar (vazn)abhyas se adhik nikharegee.
जवाब देंहटाएंशेखरजी
जवाब देंहटाएंप्रेम की अच्छी रचना है ,
हां , शिल्प की कसावट अभ्यास से आएगी । प्रयास जारी रखें
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
shekhar ji bahut khoob lagi rachna
जवाब देंहटाएंनिकला पतझड सावन, निकला बसंत-बहार |
किसका इंतजार है, जो आस लगाए बैठी हो |
बहुत बढिया जी !!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। आभार|
जवाब देंहटाएंआपकी रचनाओँ में निखार आने लगा है!
जवाब देंहटाएंबधाई!
निकला पतझड सावन, निकला बसंत-बहार |
जवाब देंहटाएंकिसका इंतजार है, जो आस लगाए बैठी हो ||
बहुत सुन्दर, बेहतरीन !
......बहुत खूब
जवाब देंहटाएंविरह को खूबसूरती से सहेजा है।
जवाब देंहटाएंis kavitaa ko padhkar aisa lagaa ki .........
जवाब देंहटाएंye itni achchhi post hai tabhii to tippani par nazar garaaye baithe ho ....bahut acchii rachana hai
BAHUT HI KHOOBSOORAT BHAI SHEKHARJI
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एहसास...
जवाब देंहटाएंkhoobsurat ahsaas se labrez lagi yah kavita..
जवाब देंहटाएंlikhte raho...
wahwa.....
जवाब देंहटाएं...बेहतरीन !!!!
जवाब देंहटाएंप्रिय शेखर ,
जवाब देंहटाएंआपकी टिपण्णी रुपी प्रोत्साहन से प्रभावित होकर आज पहली बार आया आपके ब्लॉग पर .
आप अपनी आयु से कही अधिक परिपक्व लेखन लिखते हैं . ये रचना भी अच्छी लिखी .
आप सारी रचनाये छोटी छोटी लिखते हैं .
!! श्री हरि : !!
बापूजी की कृपा आप पर सदा बनी रहे
Email:virender.zte@gmail.com
Blog:saralkumar.blogspot.com
वाकई दोस्त...भरी दुपहरी में शमा जलाए बैठे हो...
जवाब देंहटाएंबेहतर...
भावुक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurti se likha hai aapne :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना! चित्र भी मनमोहक है!
जवाब देंहटाएंनिकला पतझड सावन, निकला बसंत-बहार |
जवाब देंहटाएंकिसका इंतजार है, जो आस लगाए बैठी हो ||
....बहुत बढ़िया..............और हाँ तस्वीर भी।
बहुत भावपूर्ण रचना!! बधाई।
जवाब देंहटाएंकैसे कैसे राज़ जो ख़ामोशी ने छिपायें रखे है |
जवाब देंहटाएंहाय ! ऐसी मोहब्बत जो परदेसी से कर बैठी हो ||
........बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति .
JORDAR HAI KHECHAL ! LAGYA REVO !!
जवाब देंहटाएंgood
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावों से भरी हुई ..आपको बधाई
जवाब देंहटाएंजितनी सुंदर कविता उतनी ही सुंदर तस्वीर ।
जवाब देंहटाएंपरदेशी से दिल लगाने की यही नियति है.
जवाब देंहटाएंshekhar jee ,
जवाब देंहटाएंnamaskar !
aap ke pehli baar aane ka avsar prapt hua , sunder blog ki badhai
sadhuwad
निकला पतझड सावन, निकला बसंत-बहार
जवाब देंहटाएंकिसका इंतजार है, जो आस लगाए बैठी हो ...
परदेसी तो चले गये ....
सच है परदेसीयों से न अँखियाँ लगाना ..... अच्छा लिखा है ..
आईये जानें … सफ़लता का मूल मंत्र।
जवाब देंहटाएंआचार्य जी
बहुत सुंदर भावों से भरी हुई रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत भावपूर्ण बधाई। .....
इतनी कम उम्र में भी इतना अच्छा लिखते हो |मन की गहराई तक
जवाब देंहटाएंदस्तक दे जाते हो |सुंदर भाव लिए रचना के लिए बधाई
आशा
बहुत बढिया!!
जवाब देंहटाएंpardesh se mohabbat.........:) ye to virah dega hi..........!!
जवाब देंहटाएंek khubsurat kavita.......god bless!
mujhe follow karne ke liye majboor hona para:)
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंshukria mere bhai.
जवाब देंहटाएंbahut chote ho lekin acchi koshish kar rahe ho ,meri shubhkamnayein tumhare saath hain.
mitra abhi kisi jaruri kaam se shahar se bahar jana pad raha hai ....aap apani kalam se blogjagat ko sajaate rahe ...//// filhaal alvida
जवाब देंहटाएंachha likha hai beta likhate raho
जवाब देंहटाएंBemisal khoobsoorat blog aur kavita badhai shekharji
जवाब देंहटाएंकाफी समय से आपकी रचनाएं पढ़ रहा हूं। अब देखता हूं कि उनमें गंभीरता आ रही है। बहुत सुंदर रचना है। हमेशा की तरह एक बार फिर आपको बधाई। बहुत बढिय़ा।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंलिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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