प्यार बड़ा दर्द देता है.इस विषय पर आपके लागातार लेखन से लगता है आप शायर बन जायेंगे..............वैसे शादी नहीं लगता है..जीवन की भागादौड़ी में ये सभी कुछ गुल हो जाता है. अपनी माटी माणिकनामा
अच्छा लिखा है शेखर! उन्नीस साल पहले जब मैं उन्नीस साल का था तब मैंने भी ऐसा ही बहुत कुछ लिखा था. समय के साथ लेखन में बदलाव आता है. बदलाव आना ज़रूरी है. प्यार हो या न हो, टूटे या सलामत रहे, शायर युवक ऐसा लिखता ज़रूर है. आभार.
बहुत खूब शेखर जी।
जवाब देंहटाएंप्रिय उदय प्रताप हयात कि पंक्तियाँ याद आतीं हैं -
हर बार अपना दर्द बताना नहीं अच्छा
और जख्म हैं ऐसे कि छुपाना नहीं अच्छा
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
शेखर, लिखा बहुत अच्छा है, लेकिन भाई बीस साल की उमर में ऐसा सोचोगे तो कैसे चलेगा? खुदा से मांगना है तो ये मांगों कि सबको इतनी ही शिद्दत से चाहो।
जवाब देंहटाएंप्यार बड़ा दर्द देता है.इस विषय पर आपके लागातार लेखन से लगता है आप शायर बन जायेंगे..............वैसे शादी नहीं लगता है..जीवन की भागादौड़ी में ये सभी कुछ गुल हो जाता है.
जवाब देंहटाएंअपनी माटी
माणिकनामा
Chahat kayi baar behad dard pahunchati hai...khoobsoorat alfaaz!
जवाब देंहटाएंदर्द को खूबसूरती से कहा है..
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिखा है ..पर जीवन में दुखी ना हो ...शायरी में चाहे रो लो
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है!
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है!
जवाब देंहटाएंलाजवाब!
जवाब देंहटाएंकाश यही शिद्दत समूचे जहां को अपनी जद में लेले...
जवाब देंहटाएंबेहतर...
दोनो ही शेर बहुत लाजवाब हैं!
जवाब देंहटाएंthode lafzon mein gahri baat kah di.........kal ke charcha manch par aapki prastuti hogi.
जवाब देंहटाएंसच है किसी को चाहना दुख देता है ...
जवाब देंहटाएंअच्छा शेर है बहुत ...
yun bhi dard rone se kam nahin hoga
जवाब देंहटाएंवाह! बेहतरीन!!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...
जवाब देंहटाएंvaha bahut khoob..........
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही खूबसूरती से और शानदार रूप से आपने दर्द को बयान किया है! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंdard gaharaa hai.........
जवाब देंहटाएंतुम्हारी चार लाइनों का असर किसी ग़ज़ल से कम नहीं होता. बहुत सुंदर लिखा है.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं.
kaash ye mumkin hota ki ham chahat bhi tol mol kar kar paate ........
जवाब देंहटाएंbahut achcha likha hai
संभवतः पहली बार इस ब्लाग पर पहुँचा हूँ। इस पर आते रहना होगा।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।
जवाब देंहटाएंयदि यह सचमुच प्यार होता तो आप इस क़दर टूटे न होते।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है शेखर! उन्नीस साल पहले जब मैं उन्नीस साल का था तब मैंने भी ऐसा ही बहुत कुछ लिखा था. समय के साथ लेखन में बदलाव आता है. बदलाव आना ज़रूरी है. प्यार हो या न हो, टूटे या सलामत रहे, शायर युवक ऐसा लिखता ज़रूर है. आभार.
जवाब देंहटाएंभाई शेखर, इत्ती सी उमर और इत्ते भारी विचार...
जवाब देंहटाएंभैया बहुत नाम कमाओगे, आगे चलकर...
शुभकामनाएं और बधाई...
इस दर्द को अपनी शक्ति बनाओ ..........वैसे बढ़िया लिखते हो शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंkyaa waqt hai ji aapke blog par aane kaa....
जवाब देंहटाएंjo bhi ho...tumhein aasherwaad....
khubsurat andaz
जवाब देंहटाएंछा रहे हो गुरु ...
जवाब देंहटाएंहोता है ऐसा भी होता है ।
जवाब देंहटाएंशेखर भाई बहुत खूब
जवाब देंहटाएंशायरी रुपी ..यह रचना बहुत पसंद आई.....
जवाब देंहटाएंवाह...........बहुत खूब.......
जवाब देंहटाएंnice, achha laga padhkar
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