मेंहंदी लगी है तेरे हाथों में ,वो मुझे भी देखनी है |
रची है कितनी मेरे प्यार की ,वो भी देखनी है ||
आज होगी आजमाईश मेरी भी मुहब्बत की |
क्योंकि मेहंदी की ''खुशबू'' में मेरी दुआ मिली है ||
रची है कितनी मेरे प्यार की ,वो भी देखनी है ||
आज होगी आजमाईश मेरी भी मुहब्बत की |
क्योंकि मेहंदी की ''खुशबू'' में मेरी दुआ मिली है ||
:-Shekhar Kumawat
अच्छी पोस्ट,,...
जवाब देंहटाएंbahut badhiya post...
जवाब देंहटाएंआखिरकार यह ब्लॉग इस देश में खुल पाया... पहली बार पढ़ने का मौका मिला... खूबसूरत भाव .....मेंहदी की खुशबू.... माँ के प्रति.... मधुशाला....ख्वाब...इश्क.... खास कर... शबनम के घूँट... साक़ी के हाथों... मुक्तक मुक्त भाव से अपनी बात कह जाते हैं.... शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंदोनों शेर बहुत बढ़िया हैं जी!
जवाब देंहटाएंबधाई!
सुन्दर लाइनें शेखर जी
जवाब देंहटाएंदुआओं का असर होगा ज़रूर
पर देखना कहीं हो न जाये गरूर
हो भी जाये तो कोई गम नहीं
याद हमें फिर भी करना ज़रूर
दीपक शर्मा कुल्लुवी
09136211486
20/5/11
sundar .....likhate rahen....
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat
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