ये दूरियां तो हमने ने बनाए रखी है ।
रीती - रिवाजो में उलझाए रखी है ।।
वो क्या समझेंगे तड़प-ए-दिल की ।
जिन्होंने बेड़ियां इज्जत की पहन रखी है ।।
Ye Duriyan To Hamne Banaye Rakhi H.
Riti - Riwajo Me Ulja Rakhi H.
Wo Kya Samjhenge Tadap-e-dil Ki.
Jinhone Bediya Ijjat Ki Pahan Rakhi H.
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आज बातें कम, लिंक्स ज्यादा - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार रचना की प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....