दर्द का ये सेलाब , अब कम न होगा |
आंसुओ का बहना, अब बंद न होगा ||
फिर कैसे भूल जाऊ तेरी यांदो को |
बिन तेरे तो जीना भी आसा न होगा ||
:- शेखर कुमावत
आंसुओ का बहना, अब बंद न होगा ||
फिर कैसे भूल जाऊ तेरी यांदो को |
बिन तेरे तो जीना भी आसा न होगा ||
:- शेखर कुमावत
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंसही लिखा है -
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना -
बहुत अच्छी रचना .. शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंgood
जवाब देंहटाएंNihayat sundar rachana!
जवाब देंहटाएंGantantr diwas kee haardik badhayee!
good one.......
जवाब देंहटाएंमर्म स्पर्शी भाव शेखर जी !!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट से प्रेरित होकर कुछ भाव कलमबद्ध किये हैं . समय मिले तो पढना . check today's post for reference
http://saralkumar.blogspot.com/2011/01/blog-post_27.html
बहुत अच्छी रचना .. शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंbehatar panktiyaa.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर!
जवाब देंहटाएंvery nice.....thanks
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