शबनम के ये घूंट मुझे और ना पिला साकी |
मंजिल है दूर मेरे कदमो को ना रोक साकी ||
यहीं डगमगा ना जाऊ तेरे इश्क मे कहीं |
मेरे खवाब भी हकीकत मे बदलने दे साकी ||
:- Shekhar Kumawat
यहीं डगमगा ना जाऊ तेरे इश्क मे कहीं |
मेरे खवाब भी हकीकत मे बदलने दे साकी ||
शबनम के ये घूंट मुझे और ना पिला साकी |
जवाब देंहटाएंमंजिल है दूर मेरे कदमो को ना रोक साकी ||
Nihayat sundar!
very nice..........
जवाब देंहटाएंtheek hai bhaiya lage raho.nkhaar aane waalaa hai
जवाब देंहटाएंबहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
जवाब देंहटाएंएक आध्यात्मिक छाप लिए इन रुबाइयों को पढकर यही ख्याल आया कि जब स्वप्न-जाल से बाहर निकलता है कोई तो ही उस सत्य के दर्शन होते हैं।
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जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से, आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - विजय दिवस पर विशेष - सोच बदलने से मिलेगी सफलता,चीन भारत के लिये कितना अपनापन रखता है इस विषय पर ब्लाग जगत मौन रहा - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
bahut sunder.....
जवाब देंहटाएंकदम से कदम मिला कर आगे बढ़ें.
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