कैसा उल्फत का जूनून, मेरे दिल में समाया |
हजारो चहरो में , बस तेरा ही चेहरा भाया ||
कदम कदम पर ठोकरें इम्तिहां मेरा लेती रही |
हार कर उन्हींने, रास्ता तेरे घर का दिखाया ||
हजारो चहरो में , बस तेरा ही चेहरा भाया ||
कदम कदम पर ठोकरें इम्तिहां मेरा लेती रही |
हार कर उन्हींने, रास्ता तेरे घर का दिखाया ||
शेखर कुमावत