जो ख़्वाबों मे था , वो हकीकत नहीं |
जिसके सपने संजोये वो जन्नत नहीं ||
अरमानों के मोती जो हमने चुने कभी |
ज़माने के बाजारों मै हकीकत नहीं ||
मेरी किस्मत ने भी मुझे दगा दे दिया |
फिर भी खुदा से कोई शिकायत नहीं ||
अब याद ना कर 'शेखर' बार बार उसे |
खुश किस्मत ही समझ कि वो साथ नहीं ||
:- शेखर कुमावत