लगा के मेहंदी वो इतराते बहुत है
अकेले में वो मुस्कुराते बहुत है
शरमा के वो जब आईना देखते
खुद-ब-खुद वो लज्जाते बहुत है
रह कर भी साजन की बाहों में
मेरी यादो में खो जाते बहुत है
इससे बड़ी क्या सजा है मेरी
मेरे हिस्से के आंसू बहाते बहुत है
एक अरसे से जुदा है मुझ से
जाने क्यों मेरे दिल में आते बहुत है
© Shekhar Kumawat