जो ख़्वाबों मे था , वो हकीकत नहीं |
जिसके सपने संजोये वो जन्नत नहीं ||
अरमानों के मोती जो हमने चुने कभी |
ज़माने के बाजारों मै हकीकत नहीं ||
मेरी किस्मत ने भी मुझे दगा दे दिया |
फिर भी खुदा से कोई शिकायत नहीं ||
अब याद ना कर 'शेखर' बार बार उसे |
खुश किस्मत ही समझ कि वो साथ नहीं ||
:- शेखर कुमावत
nice
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंwaah badhiya...
जवाब देंहटाएंलाजवाब।
जवाब देंहटाएंजो ख्वाबो मे था , वो हकीकत नहीं |
जिसके सपने सजोये वो जन्नत नहीं ||
बढ़िया गजल है!
जवाब देंहटाएंलाइनों के अन्त में "है" और लगा दिया जाता तो बहुत अच्छा रहता!
behad sundar ....lajbab
जवाब देंहटाएंअब याद ना कर 'शेखर' बार बार उसे |
जवाब देंहटाएंखुश किस्मत ही समझ की वो साथ नहीं ||
Uff! Yah kaisee vidambana hai!
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंवो आखिरी बार भी धोखा दे जाएगी सोचा ना था
जिंदगी इसबार भी रुलाएगी ये सोचा ना था
रत्नेश त्रिपाठी
अब याद ना कर 'शेखर' बार बार उसे |
जवाब देंहटाएंखुश किस्मत ही समझ की वो साथ नहीं ||
किसकी खुशकिस्मती है ,,,,!!
वाह! बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंजो ख्वाबो मे था , वो हकीकत नहीं |
जवाब देंहटाएंजिसके सपने सजोये वो जन्नत नहीं ||
अरमानो के मोती हमने चुने थे कभी |
वो जालिम ज़माने मे हकीकत नहीं ||
....बहुत सुन्दर!
जो ख्वाबो मे था , वो हकीकत नहीं |
जवाब देंहटाएंजिसके सपने सजोये वो जन्नत नहीं ||
लाजवाब।
ये बिल्कुल मेरी अपनी कहानी है पर में अपने आप को खुश नसीब नही समझ सकता यार करना नही भुला सक्ता क्या करूं,
जवाब देंहटाएंआखिर ये दिल का मामला हैं, आराम का नही
अरमानो के मोती हमने चुने थे कभी
जवाब देंहटाएंवो जालिम ज़माने मे हकीकत नहीं ....
अरमानों को प्यार की खुश्बू मिले तो वो हक़ीकत बनते हैं .... वरना कुछ नही ....
वाह …………………बहुत ही सुन्दर भाव्।
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति....बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंjudai ko jitna bya karo utna kam hai ..
जवाब देंहटाएंbadhiya likha hai , kalpna ki dunia hai , jaise marji samjha lo dil ko !
जवाब देंहटाएंAb yaad na kar Shekhar...
जवाब देंहटाएं" Na shikwa yaar se, na shiqayat rakeeb se, Jo bhi hua khuda se hua, ya naseeb se. "
वाह! बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंjo ab saath nahin,use yaaad kar ab dukhi ho nahin.
जवाब देंहटाएंखुश किस्मत ही समझ कि वो साथ नहीं ||
जवाब देंहटाएंbilkik sahi likha hai.
http://udbhavna.blogspot.com/
ye kuchh level kaa likhaa hai bhai.really congrats
जवाब देंहटाएंsundar bhav, achchhi prastuti..........
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है! शानदार ग़ज़ल लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंअब याद ना कर 'शेखर' बार बार उसे |
जवाब देंहटाएंखुश किस्मत ही समझ कि वो साथ नहीं
बहुत खूब....
अब याद ना कर 'शेखर' बार बार उसे |
जवाब देंहटाएंखुश किस्मत ही समझ कि वो साथ नहीं ||
waah bahut khoob
बहुत बढिया ।
जवाब देंहटाएंशिकवा की जगह यदि शिकायत लिखते थो आपके बाकी के काफिये से मेल खाता ।
बहुत ही खूबसूरत -पवित्र -सकारात्मक सोच -
जवाब देंहटाएंमन को छू गया .
अनेक बधाई
hridayasparshi kavita..........likhte rahiye
जवाब देंहटाएंअजी कहाँ गायब हो गए हो आप जनाब
जवाब देंहटाएंअरमानो के मोती हमने चुने थे कभी |
जवाब देंहटाएंवो जालिम ज़माने मे हकीकत नहीं ||
bahut sundar rachna.
मेरी किस्मत ने भी मुझे दगा दे दिया |
जवाब देंहटाएंफिर भी खुदा से कोई शिकायत नहीं ||
शिकायत होनी भी नही चाहिए,ये तो जिंदगी है .....क्या खूब कहा
सुंदर रचना .....
aapki kavita he maan achchhi lagi shabdon ka samyojan aur chayan donhi utkrisht evam swabhawik lage.
जवाब देंहटाएंshekharji bilamb se aane ke liye kshma chahta hun bahut sunder
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शब्द ....
जवाब देंहटाएंअरमानों के मोती हमने चुने थे कभी |
जवाब देंहटाएंवो जालिम ज़माने मै हकीकत नहीं ||
बेहद खुबसूरत....
regards
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने!
जवाब देंहटाएंबधाई!
बहुत ही बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंbeautiful .
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