उठा भी दो पर्दा...........

कोई बात तो होगी मुझमे भी|
लगन लगी है
जो तुझमे भी ||

उठा भी दो पर्दा अब चहरे से |
प्रीत जगी है अब मुझमे भी ||


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शेखर कुमावत

18 टिप्‍पणियां:

  1. ग़ज़ब ...बहुते ग़ज़ब.... क्या लाइन लिखी है....

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  2. waah...bahut khub...
    ----------------------------------
    मेरे ब्लॉग पर इस मौसम में भी पतझड़ ..
    जरूर आएँ...

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  3. उठा भी दो पर्दा अब चहरे से
    जगी है प्रीत अब मुझमे भी....

    प्रीत की सुंदर बानी ....
    प्रीत दोनो तरफ हो तो बात ही क्या ,.....

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  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

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  5. इतना संक्षिप्त ????
    सुन्दर भाव है...थोडा विस्तार दें...

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  6. तुम्हारी चार लाइनों कि गहराई किसी ग़ज़ल से कम नहीं. बहुत सुन्दर.

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  7. पर्दे में रहने दो...
    पर्दा न उठाओ..........

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  8. सीधी सादी बात की बेहतरीन प्रस्तुति...ये चित्र कहाँ से लाये आप? वाह...लाजवाब है...

    नीरज

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