जीने नहीं देता .........

फासला तुम्हे भूलने नहीं देता.
खुली आँखों में खवाब दिखा देता.
ये कैसी कसम दिलाई है तुमने.
जो जीकर भी जीने नहीं देता ....

 © Shekhar Kumawat

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