दूर रहती तो है .........

दूर रहती तो है पर सताती बहुत है ।
भुलाता तो हूँ पर याद आती बहुत है ।।

बात ख्वाबो तक हो तो ठीक थी ।
मगर जहन में आती बहुत है ।।

तस्वीरो से दीवाना बना रखा है ।
गर सामने आये तो क़यामत बहुत है ।।

रुट कर मानती, मान कर रुट जाती ।
इन अदाओ से मुझे आजमाती बहुत है ।।

दिल में बसा कर दुनिया से छिपाती ।
जाने वो इतना प्यार करती बहुत है ।।



© 'शेखर कुमावत'

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