काव्य वाणी
Shekhar Kumawat's Blog
दूर रहती तो है .........
दूर रहती तो है पर सताती बहुत है ।
भुलाता तो हूँ पर याद आती बहुत है ।।
बात ख्वाबो तक हो तो ठीक थी ।
मगर जहन में आती बहुत है ।।
तस्वीरो से दीवाना बना रखा है ।
गर सामने आये तो क़यामत बहुत है ।।
रुट कर मानती, मान कर रुट जाती ।
इन अदाओ से मुझे आजमाती बहुत है ।।
दिल में बसा कर दुनिया से छिपाती ।
जाने वो इतना प्यार करती बहुत है ।।
©
'शेखर कुमावत'
तेरे आने का...........
तेरे आने का
इंतजार
करती है निगाहें ।
कुछ ना कहो तो भी कहती है निगाहें ।।
आलम-ए-मंज्जर कुछ ऐसा है दिल का ।
एक मुद्दत से राह पे टिकायें रखी है निगाहें ।।
Tere aane ka intjaar karti he NIGAHEN.
Kuchh na kaho to bhi kahti he NIGAHEN.
Alam-E-Manjjar kuchh aisa he DIL ka.
Ek muddat se rah pe tikayen rakhi he
NIGAHEN.
©
'शेखर कुमावत'
मेरी खामोशियों को ........
मेरी खामोशियों को बेवफाई ना समझना ।
इस तनहाई को मेरी दगाई ना समझना ॥
दिल में प्यार उतना ही है जितना तेरे दिल में ।
मुझे कभी दिल से पराया न समझाना ॥
शेखर कुमावत
ये जरुरी तो नहीं ........
दिल का रिश्ता जन्मों का हो जरुरी तो नहीं |
हर रिश्ते का नाम हो ये जरुरी तो नहीं ||
निगाहें ढूंढती है जिसका पता हर रोज़ |
वो शक्स करीब हो ये जरुरी तो नहीं ||
खामोशियाँ दिल का हाल बयां कर देती हे |
इजहार लब्जों से हो ये जरुरी तो नहीं ||
उनकी यादों का समंदर उफान पर हो |
और वो सामने हो ये जरुरी तो नहीं ||
दिल में बस कर -धड़कन में समायां हे |
फिर मेरी बाँहों में हो ये जरुरी तो नहीं ||
शेखर कुमावत
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