दर्द का ये आलम.......

दर्द का ये सेलाब , अब कम होगा |
आंसुओ का बहना, अब बंद होगा ||

फिर कैसे भूल जाऊ तेरी यांदो को |
बिन तेरे तो जीना भी आसाहोगा ||
http://editkutter.files.wordpress.com/2010/02/z59793675.jpg

:- शेखर कुमावत

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्‍छी रचना .. शुभकामनाएं !!

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  2. मर्म स्पर्शी भाव शेखर जी !!!!!!!!!

    आपके पोस्ट से प्रेरित होकर कुछ भाव कलमबद्ध किये हैं . समय मिले तो पढना . check today's post for reference
    http://saralkumar.blogspot.com/2011/01/blog-post_27.html

    जवाब देंहटाएं

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