शबनम के ये घूंट

शबनम के ये घूंट मुझे और ना पिला साकी |
मंजिल है दूर मेरे कदमो को ना रोक साकी ||

यहीं डगमगा ना जाऊ तेरे इश्क मे कहीं |
मेरे खवाब भी हकीकत मे बदलने दे साकी ||


:- Shekhar Kumawat

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