पूर्णिमा की रात, होगा बेशक तेरा दीदार किसी तरह |
मगर निकल गया बेवफा ये आसमां भी तेरी तरह ||
उस रात, रात भर छाई घटायें फलक में चारो ओर |
चाँद दिखा ना तुम दिखे , अमावस्या की तरह ||
शेखर कुमावत
माँ ऐसा वरदान दिजो, जो नित करूँ सेवा तेरी |
तन मन धन सब अर्पित करूँ, चरणों मे तेरी ||
हो सबकी इच्छा पूरी ,करूँ हाथ जोड़ ये विनती |
माँ जगजननी कृपा करो, आया मै शरण तेरी ||
आप सभी को नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं...........
नवरात्री में नवदुर्गा से मन की कामना ये है ......:-Shekhar Kumawat