तेरा ही चेहरा भाया

कैसा उल्फत का जूनून, मेरे दिल में समाया |
हजारो चहरो में , बस तेरा
ही चेहरा भाया ||

कदम कदम पर ठोकरें इम्तिहां मेरा लेती रही |
हार कर उन्हींने, रास्ता तेरे घर का दिखाया ||

[026a.jpg]

शेखर कुमावत

18 टिप्‍पणियां:

  1. "हर कदम पर ठोकर , हर पत्थर ने समझाया |
    देख हाले दिल उन्हीने रास्ता तेरे घर का दिखाया ||"

    bahut khoob....

    जवाब देंहटाएं
  2. कैसा अजीब ये जूनून, मेरे दिल में समाया |
    हजारो चहरो में बस तेरा ही चेहरा .........sundar rachna.

    जवाब देंहटाएं
  3. hay sundarta har kisi ke chahre par hoti hai lekin usko dekhne ke liye aankhone me wo shaksiyat honi chahiye jo us khoobsoorti ho pehchan sake

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह! अच्छी रचना लेकिन....... कुछ जल्दी खत्म हो गयी ...
    बधाई .......

    जवाब देंहटाएं
  5. Rafta-Rafta Mohabbat ke Adaab bhi aa jayenge,
    Pehle Dil Zubaan par rakho, phir ashaar bhi aa jayenge.

    [Acchi koshish kar rahe ho Mere Dost. Maaf karna mujhe to Thokaron ne Shaayri ke Hawale kiya tha aur Tum Mohabbat ka raasta ikhtiyar kar rahe ho.......Khir ! Ye raasta bhi tumhe aakhir mera Humraah bana dega. ALL THE BEST DEAR].

    Waise, January-2010 me BHILWADA se CHITTOD ke beech main bhi kuch HAAR aaya hun DOST. Bahut Mohabbat hai Rajasthan kii MITTI ME.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही खूबसूरत रचना है, बहुत ही सुंदर लिखते रहें शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. har man ko bha jaye, es trah s samjaya.
    chahra hi hakikat nahi hoti, shabd hote h man ki bhasha.
    your poem is too good.

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी रचनायें दिल को छू जाती हैं ! बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति है ! बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन भावो से ओतप्रोत पक्तिंयाँ

    जवाब देंहटाएं
  10. फिर पहाड़ों से दरिया बहे दूध का
    दिल में फ़रहाद-सा हो अगर हौसला.

    जवाब देंहटाएं

Facebook Badge